मौत के 4 चार घंटे बाद मुर्दा व्यक्ति हुआ ज़िंदा, मरने के बाद घटने वाली घटनाओं का किया खुलासा


कहा जाता है कि मौत और ज़िन्दगी इंसान के बस में नहीं है, न वह अपनी मर्ज़ी से दुनिया में आता है और न ही अपनी मर्ज़ी से दुनिया से जाता है।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि जिस व्यक्ति को मौत आ जाती है फिर वह कभी वापिस पलट कर नहीं आ सकता है, क्यूंकि दोबारा जीवित होना या जीवन पाना उसके बस में नहीं होता है। और इसी प्रकार जिस व्यक्ति को मौत आनी होती है वह उसको रोक नहीं सकता है, क्यूंकि वह उसके बस के बाहर है।
हमने कितने ऐसे व्यक्तियों को देखा होगा जो हमारे बीच रहते हैं, और एक दिन अचानक से, या किसी कारण उनको मौत आ जाती है, और वह इस तरह हमारे बीच नहीं रह जाते। और हम उनको फिर दोबारा कभी नहीं देख पाते हैं, क्यूंकि अब वह जीवित नहीं रहते।
मौत एक ऐसी स्थिति है, जिसके बाद व्यक्ति दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह जाता है। चूँकि मौत के बाद व्यक्ति का शरीर किसी काम का नहीं रह जाता है, इसलिए उसको या दफना दिया जाता है, या जला दिया जाता है, जिसको अंतिम संस्कार भी कहते हैं।
लेकिन राजस्थान से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में आप सुनकर हैरत करेंगे। दरअसल यहां एक व्यक्ति की मौत के बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार की पूरी तयारी कर ली थी, लोगों ने मान लिया था कि व्यक्ति मर चुका है, की अचानक कुछ ऐसा हुआ कि सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

यह मामला राजस्थान के झुंझुनू के खेतड़ी इलाक़े का है। यहां के स्थानीय लोगों के बीच एक बात की खूब चर्चा हो रही है कि बाबई गांव के पास ढाणी भगवतवाला में एक 95 वर्षीय बुज़ुर्ग मौत के चार घंटे बाद दोबारा ज़िंदा हो उठा। बालूराम और रणजीत ने बताया कि दोपहर क़रीब 1:30 बजे उनके पिताजी बुद्धूराम गुर्जर की मृत्यु हो गई। तमाम रिश्तेदारों को इसकी जानकारी दे दी गई थी, और अंतिम संस्कार की तैयारी भी कर ली गई थी। मुखाग्नि देने के लिए पुत्रों ने मुंडन भी करवा लिया था। लेकिन जैसे ही उन्हें परम्परों के अनुसार नहाने के लिए ले गए, लोगों ने महसूस किया कि उनके शरीर में साँसें आ गई हैं। उन्हें खाट पर लिटाया गया, और कुछ समय बाद ही वह अच्छी तरह से बोलने लगे। उन्होंने बताया कि यमदूत उन्हें अदालत में ले गए थे, फिर वापिस छोड़ गए। व्यक्ति के पुनर्जीवित होने से परिजनों और रिश्तेदारों में ख़ुशी की लहार दौड़ गई। लोग इसको भगवान् का चमत्कार मानकर पूजा-पाठ करने लगे।

बुद्धूराम के बेटे बालूराम ने बताया कि, हम लोग अंतिम संस्कार की तैयारियां कर रहे थे, तभी अचानक से उनके पिताजी के शरीर में हलचल हुई, जब हमने कान लगाकर धड़कन सुनी तो हलकी-हलकी सांसें चल रही थी।

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